पांडुलिपि विज्ञान पर १५ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन समारोह

                                                     (३१ मार्च २०२५)

पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित पांडुलिपि विज्ञान पर १५ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र का आयोजन आज ३१ मार्च २०२५ को प्रात: १० बजे किया गया। १७ से ३१ मार्च, २०२५ तक चलने वाली इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राचीन पांडुलिपियों के पहचान एवं अध्ययन आदि  को बढ़ावा देना था।

समापन समारोह की अध्यक्षता प्रो.सीता राम दूबे, (पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातरत्त्व बिभाग) ने की। मुख्य अतिथि थे प्रो.गोपबन्धु मिश्र (पूर्व कुलपति, श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय), सारस्वत् अतिथि थे पार्श्वनाथ विद्यापीठ के उपाध्यक्ष श्री इन्द्रभूति बराड.।

कार्यक्रम का प्रारम्भ डा. रेखा द्वारा प्रस्तुत किये जैन मंगलाचरण से हुआ। वैदिक मंगलाचरण डा. बप्पा राजवंशी ने किया। अतिथियों का स्वागत एवं कार्यशाला के आयोजन की आवश्यकता पर संस्थान के निदेशक डा. दीनानाथ शर्मा ने प्रकाश डाला। सहायक निदेशक एवं संयोजक डा. ओमप्रकाश सिंह नें कार्यशाला की रिर्पोट़ प्रस्तुत करते हुये प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और अन्त में कार्यशाला में पधारनेवाले सभी के प्रति आभार प्रदर्शन किया। तदूपरान्त प्रतिभागियों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला बहुत ही उपयोगी और सारगर्भित रहा।

विशिष्ट अतिथि श्री ऋषभ जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि व्यक्ति अपने कार्य को धर्म पर आधारित करके करें तो उसमें सफलता निश्चित है। मुख्य अतिथि प्रो.गोपबन्धु मिश्र ने पाण्डुलिपि विज्ञान की आवश्यकता, उस पर कार्य करने वाले कुछ प्रमुख विदेशी विद्वानों एवं भारतीय विद्वानों का उल्लेख करते हुये उसकी उपयोगिता बताते हुए कहा कि हम पाण्डुलिपि से सहयोग, त्याग, समपर्ण आदि के गुण सीख सकते हैं।

 सारस्वत अतिथि श्री इन्द्रभूति बराड. ने कहा कि इस संस्था का निर्माण ज्ञान विज्ञान के विकास के लिए ही किया गया है। हम आगे भी ऐसे आयोजन करते रहेगें । अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो.सीता राम दूबे, ने पाण्डुलिपियों के रख-रखाव और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए लोंगो को आगे आने को कहा।

अन्त में सहायक निदेशक एवं संयोजक डा. ओमप्रकाश सिंह नें आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से पधारे अनेक विद्वान तथा देश के कोने कोने से पधारे प्रतिभागीगण उपस्थित थे।

INTERNAL MEETING AT PRSHWANATH VIDYAPEETH

On 1st April 2025, an internal meeting with all staff members was organised at Parshwanath Vidyapeeth. Shri Indrabooti Barar, Vice President chaired the meeting. The staff members present in the meeting were Dr. S. P. Pandey, Dr. Dinanth Sharma, Dr. O. P. Singh, Shri Rajesh Chaubey, Dr. Rekha, Dr. Bappa Rajvanshi, Dr. Prasant Mandal, Aastha Jha, and Ishwardatt Maurya. The meeting started with Navakar Mantra.The meeting aimed to discuss key initiatives, address important issues, running academic projects, and foster collaboration among team members.

Key highlights of the meeting included:

1.Discussion on strategic plans for institutional growth

2.Review of ongoing projects and initiatives

3. Innovative ideas to be implemented in the research

The meeting provided a valuable platform for exchange of ideas and strengthening teamwork.

Shraman Varsh 13 Ank – 10 August 1962

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का तेरहवाँ संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – कृष्णचंद्राचार्य

प्रबंध संपादक – श्री सतीश कुमार
प्रकाशक – श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a Thirteenth edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Krishnachandracharya

Managing editor – Mr. Satish Kumar
Publisher – Shri Parshwanath Vidyashram,
Hindu University, Banaras, UP, 221005.

Shraman Varsh 13 Ank – 09 July 1962

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Shraman Varsh 13 Ank – 07-08 May- June 1962

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