पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित पांडुलिपि विज्ञान पर १५ दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का आयोजन आज १७ मार्च २०२५ को प्रात: १० बजे किया गया। १७ से ३१ मार्च, २०२५ तक चलने वाली इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राचीन पांडुलिपियों के पहचान एवं अध्ययन आदि को बढ़ावा देना है।
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. के.के. शर्मा ने की। मुख्य अतिथि थे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के पूर्व सलाहकार प्रो. विजय शंकर शुक्ल ।सास्वत् अतिथि थे पार्श्वनाथ विद्यापीठ के अध्यक्ष श्री डी.आर. भंसाली।
सारस्वत अतिथि श्री धनपतराज भंसाली ने पाण्डुलिपि विज्ञान से सम्बन्धित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करते हुये जैन पाण्डुलिपियों के विषय में बात की। मुख्य अतिथि प्रो. विजय शंकर शुक्ल ने पाण्डुलिपि विज्ञान की आवश्यकता, उसपर कार्य करने वाले कुछ प्रमुख विदेशी विद्वानों एवं भारतीय विद्वानों का उल्लेख करते हुये उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुये प्रो. कृष्णकान्त शर्मा ने पाण्डुलिपियों में पाठभेद का जिक्र करते हुये कुछ उदाहरणों के माध्यम से पाण्डुलिपियों में पाठ-संशोधन के महत्त्व को रेखांकित किया।
सहायक निदेशक एवं संयोजक डा. ओमप्रकाश सिंह नें कार्यशाला के आयोजन के विषय में प्रमुख सूचनायें प्रतिभागियों से शेयर किया और अन्त में उद्घाटन सत्र में पधारनेवाले सभी के प्रति आभार प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से पधारे अनेक विद्वान तथा देश के कोने कोने से पधारे प्रतिभागीगण उपस्थित थे।
On 11th March 2025, a General Body Meeting of the Parshwanath Vidyapeeth Managing Committee was held at the conference hall of Parshwanath Vidyapeeth. The Honorable members present were Shri D R Bhansali, Shri Saurabh Jain, Shri R.C. Jain, Dr Dinanath Sharma, Shri Sudev Barar, Shri Satish C Jain, and Dr S P Pandey. The Committee discussed many essential issues concerning Parshwanath Vidyapeeth in detail.
Parshwanath Vidyapeeth, Varanasi has made new appointments of two project fellows- Dr. Bappa Rajvanshi and Dr. Prasanta Mandal under the Central Sanskrit University’s Project on ‘Editing and Translation of Unpublished Manuscripts’. Both the scholars are from West Bengal. The appointments will definitely strengthen the institution’s research capabilities and academic excellence.