यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का पहला संस्करण है।
श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र
संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.
This is a first edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.
Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras
Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005
इस अंक में –
In this issue –
- आप बन अपनी शरण (कविता)- श्री श्यामसुंदर खत्री
- अपनी बात (संपादकीय)-
- अहिंसा की साधना – काका कालेलकर
- मृत्युंजय (कहानी)- मोहनलाल मेहता
- काल का प्रभाव – मुनि संतबाल
- बौद्ध धर्म – प्रो दलसुख मालवणिया
- संस्कृति का प्रश्न – प्रो विमल दास जैन
- विश्वास लिए आया हूं ( कविता)- श्री ज्ञानचंद्र भारिल्ल
- पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो – श्रीमती यमुना देवी पाठक
- ईर्यापथ – प्रतिक्रमण – श्री धीरज लाल टो. शाह
- साहित्य- सत्कार –
- विद्याश्रम समाचार –
- You become my refuge (poem)- Shr Shyamsundar Khatri
- Your point (editorial)-
- Practice of non-violence – Kaka Kalelkar
- Mrityunjay (story)- Mohanlal Mehta
- Effect of time – Muni Santbal
- Buddhism – Prof. Dalsukh Malvaniya
- Question of Culture – Prof. Vimal Das Jain
- have come with faith (Poem)- Shri Gyanchandra Bharil
- How to have a happy family life – Smt. Yamuna Devi Pathak
- Iryapath – Pratikraman – Shri Dheeraj Lal T. Shah
- Literature-Hospitality-
- Vidyashram News –