`श्रमण’ पार्श्वनाथ विद्यापीठ की चातुर्मासिक शोध-पत्रिका

केयर लिस्टेड (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)

प्रारम्भ वर्ष- १९४९

आई एस एस एन नं .  ०९७२-१००२

`श्रमण’ के बढ़ते चरण

पंजाब केशरी परम पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज की पुण्य स्मृति में आज से ८७ वर्ष पूर्व (ई. १९३७) `पार्श्वनाथ विद्याश्रम’ की स्थापना वाराणसी में की गई थी। कालान्तर में इस उच्च शोध शिक्षण संस्थान का नाम `पार्श्वनाथ विद्यापीठ’ कर दिया गया। ई. सन् १९४९ नवम्बर से पं. कृष्णचन्द्राचार्य (मुनिजी) के सम्पादकत्व में पार्श्वनाथ विद्यापीठ से `श्रमण’ नाम से मासिक-पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया। जैन धर्म, दर्शन, पुरातत्त्व, संस्कृति, कला, इतिहास, काव्य, आगम आदि से सम्बन्धित शोधात्मक लेखों से सुसज्जित इस पत्रिका ने शीघ्र ही समाज में और विद्वज्जगत् में शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया। कालान्तर में स्व. श्री भूपेन्द्रनाथ जैन (पूर्व अध्यक्ष) के पिता स्वनाम धन्य स्व. श्री लाला हरजसराय जैन जो इस विद्यापीठ के प्रथम मंत्री थे, तथा स्व. प्रोफेसर सागरमल जैन, पूर्व निदेशक के सत्प्रयासों से अल्पावधि में ही यह पत्रिका काफी लोकप्रिय हो गई।

`श्रमण’ का प्रकाशन विगत ४० वर्षों (ई. १९८९) तक निरन्तर मासिक पत्रिका के रूप में होता रहा। इसके बाद वर्ष ४९ (ई. १९९०) से इस मासिक पत्रिका को विधिवत त्रैमासिक बना दिया गया। तब से निरन्तर यह पत्रिका त्रैमासिक ही प्रकाशित हो रही है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के वर्तमान अध्यक्ष श्री धनपतराज जी भंसाली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री इन्द्रभूति बरड़ तथा सचिव श्री सुदेव बरड़ का इस दिशा में पूर्ण सहयोग प्राप्त होता रहता है। उन्होंने इसकी उच्च गुणवत्ता बनाए रखने के लिए `श्रमण’ का परामर्श मण्डल भी बना दिया है। इसमें भारतवर्षीय तथा विदेशी विद्वानों को जोड़ा गया है जिससे यह पत्रिका विदेशों में भी अपने चरण मजबूती से जमा सके।

सम्पादक मण्डल

प्रधान सम्पादक प्रो. दीनानाथ शर्मा

उप-सम्पादकडॉ. ओमप्रकाश सिंह

उप-सम्पादक–  डॉ. रेखा

Shraman Varsh 11 Ank-1-12 (1959-60)

This is a Research Journal of Parshwanath Vidyapeeth, Varanasi.

Shraman Varsh 06 Ank 01-12 (1954-55)

Shraman Varsh 03 Ank 01-12 (1951-52)

Shraman Varsh 02 Ank 01- 12 (1950-51)

This is second volume