Shraman Varsh 02 Ank – 02 December 1950

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a Second edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005.

इस अंक में 

  1. नारी (कविता)- इंद्र
  2. अपनी बात (संपादकीय)
  3. नारी के अतीत की झांकी: सती प्रथा – श्री गुलाब चंद्र चौधरी
  4. भाग्य निर्माण (कहानी)- इंद्र
  5. निकल पड़ (गद्य काव्य)- रवींद्र
  6. सौन्दर्य का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण – श्री मोहनलाल मेहता
  7. तलाक़ – श्री पृथ्वीराज जैन
  8. विजय- कुमारी सत्यवती जैन
  9. संपादक के नाम –

In this issue –

  1. Woman (poetry)- Indra
  2. Your point (Editorial)
  3. A glimpse of women’s past: Sati Pratha – Shri Gulab Chandra Choudhary
  4. Fate Making (Story)- Indra
  5. Nikal Pad (Prose Poetry)- Ravindra
  6. Psychological analysis of beauty – Shri Mohanlal Mehta
  7. Divorce – Mr. Prithviraj Jain
  8. Victory- Kumari Satyavati Jain
  9. Editor’s name –

Shraman Varsh 01 Ank – 09 July 1950

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का पहला संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a first edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005

  1. इंसान (कविता) – श्री देवनाथ पाण्डेय ‘रसाल’
  2. अपनी बात (संपादकीय) – पृथ्वीराज जैन
  3. श्रमण तत्व – श्री रामकुमार जी जैन
  4. जैनागमों का महत्व और हमारा कर्तव्य – श्री अगरचन्द जी नहाटा
  5. सच्चा सुख- महात्मा भगवानदीन जी
  6. सेठ जी की सूझ – श्री मोहनलाल मेहता, सिध्दांत प्रभाकर
  7. एक समस्या – पं. कैलाश चंद्र जी शास्त्री
  8. ऋषिपत्तन के भग्नावशेष – श्री चंद्रिका सिंह उपासक, एम. ए.
  9. एक प्रश्न (गद्य काव्य)- कुमारी सत्यवती जैन
  10. संस्कृति का आधार व्यक्ति स्वातंत्र्य – प्रो. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य
  11. साहित्य सत्कार – गुलाबचन्द्र चौधरी, एम. ए. व्याकरणाचार्य
  12. विद्याश्रम समाचार –
  1. Human (Poem) – Shri Devnath Pandey ‘Rasal’
  2. Self talk (Editorial) – Prithviraj Jain
  3. Shramana Tatva – Shri Ramkumar Ji Jain
  4. Importance of Jainagams and our duty –Shri Agarchand Ji Nahata
  5. True Happiness- Mahatma Bhagwandin Ji
  6. Seth ji’s wisdom – Shri Mohanlal Mehta, Siddhant Prabhakar
  7. A Problem – Pt. Kailash Chandra Ji Shastri
  8. Ruins of Rishipattan – Shri Chandrika Singh Upasak, M. A.
  9. A Question – (Prose Poetry) – Kumari Satyavati Jain
  10. Individual freedom is the basis of culture – Prof. Mahendra Kumar Nyayacharya
  11. Literary Felicitation – Gulabchandra Chaudhary, M. A. , Grammarcharya
  12. Vidyashram News –

Shraman Varsh 01 Ank – 08 June 1950

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का पहला संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a first edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005

इस अंक में 

  1. नग़म ए जिंदगी (कविता) – अख़्तर लखनवी
  2. अपनी बात (संपादकीय)- पृथ्वीराज जैन
  3. कह रहा जगत कि हम स्वतंत्र हैं (कविता)- श्री ज्ञानचंद भारिल्ल
  4. आर्यों से पहले की संस्कृति- श्री ग़ुलाबचंद्र चौधरी
  5. व्यक्ति और समाज ( कहानी) – रतन पहाड़ी
  6. हज़रत मुहम्मद और इस्लाम – श्री पृथ्वीराज जैन
  7. ब्रह्मचर्य पालन के सरल उपाय – महात्मा गांधी
  8. संस्कृति का अर्थ – पं. फूलचंद्र जी सिद्धांतशास्त्री
  9. रत्न किसके? – इंद्र एम. ए.
  10. साहित्य सत्कार – दलसुख मालवणिया

In this issue –

  1. Nagm e Zindagi – Akhtar Lucknowi
  2. Self talk(Editorial)- Prithviraj Jain
  3. The world is saying that we are free (poem)- Shri Gyanchand Bharilla
  4. Culture before Aryans- Shri Gulabchandra Chaudhary
  5. Individual and Society (Story)- Ratan Pahari
  6. Hazrat Muhammad and Islam – Shri Prithviraj Jain
  7. Simple ways to follow celibacy – Mahatma Gandhi
  8. Meaning of culture – Pt. Phoolchandra Ji theoretician
  9. Whose gem? – Indra M. A.
  10. Literary Felicitation – Dalsukh Malvaniya

Shraman Varsh 01 Ank – 07 May 1950

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का पहला संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a first edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005

इस अंक में 

In this issue –

  1. आप बन अपनी शरण (कविता)- श्री श्यामसुंदर खत्री
  2. अपनी बात (संपादकीय)-
  3. अहिंसा की साधना – काका कालेलकर
  4. मृत्युंजय (कहानी)- मोहनलाल मेहता
  5. काल का प्रभाव – मुनि संतबाल
  6. बौद्ध धर्म – प्रो दलसुख मालवणिया
  7. संस्कृति का प्रश्न – प्रो विमल दास जैन
  8. विश्वास लिए आया हूं ( कविता)- श्री ज्ञानचंद्र भारिल्ल
  9. पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो – श्रीमती यमुना देवी पाठक
  10. ईर्यापथ – प्रतिक्रमण – श्री धीरज लाल टो. शाह
  11. साहित्य- सत्कार –
  12. विद्याश्रम समाचार –
  1. You become my refuge (poem)- Shr Shyamsundar Khatri
  2. Your point (editorial)-
  3. Practice of non-violence – Kaka Kalelkar
  4. Mrityunjay (story)- Mohanlal Mehta
  5. Effect of time – Muni Santbal
  6. Buddhism – Prof. Dalsukh Malvaniya
  7. Question of Culture – Prof. Vimal Das Jain
  8. have come with faith (Poem)- Shri Gyanchandra Bharil
  9. How to have a happy family life – Smt. Yamuna Devi Pathak
  10. Iryapath – Pratikraman – Shri Dheeraj Lal T. Shah
  11. Literature-Hospitality-
  12. Vidyashram News –

Shraman Varsh 01 Ank – 05, March 1950

यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की शोध पत्रिकाओं का पहला संस्करण है।

श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम, बनारस का मुखपत्र

संपादक – इंद्रचंद्र शास्त्री
दल सुख मालवणिया
पृथ्वीराज जैन
मोहन लाल मेहता
प्रकाशक –
कृष्णचंद्राचार्य
अधिष्ठाता, श्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (विद्याश्रम)
हिन्दू युनिवर्सिटी, बनारस, यूपी, 221005.

This is a first edition of Research Journals of Parshwanath Vidyapeeth , Varanasi.

Mouthpiece of Shri Parshwanath Vidyashram, Banaras

Editor – Indrachandra Shastri
Dal Sukh Malvaniya
Prithviraj Jain
Mohan Lal Mehta
Publisher –
Krishnachandracharya
Dean, Shri Parshvanath Vidyapeeth (Vidyaashram)
Hindu University, Banaras, UP, 221005

इस अंक में 

  1. स्वयं मंजिल पास आई (कविता) – श्री ज्ञानचंद्र भारिल्ल
  2. अपनी बात (संपादकीय) – इंद्र, एम. ए.
  3. श्रमण संस्कृति और नया संविधान – श्री पृथ्वीराज जैन
  4. पयान की वेला (गद्य कविता) – रवींद्र
  5. दक्षिण हिन्दुस्तान और जैन धर्म – प्रो. दलसुख मालवणिया
  6. बलिवेदी पर – श्री ज्ञानचंद्र भारिल्ल
  7. स्नेह बंधन (कहानी)- मोहन लाल मेहता
  8. हमारा आज का जीवन – श्री रतन सागर जैन
  9. छाया पर अधिकार – ईसपबोध
  10. साहित्य सत्कार (समालोचना) – प्रो. दलसुख मालवणिया मोहनलाल मेहता
  11. भारतीय जनतंत्र की पहली महावीर जयंती – इंद्र, एम. ए.
  12. एक नई योजना – इंद्र चंद्र शास्त्री
  13. भारत जैन महामंडल – मद्रास अधिवेशन के प्रस्ताव

In this issue –

  1. My destination came near (Poem) – Shri Gyanchandra Bharilla
  2. Your Opinion (Editorial) – Indra M. A.
  3. Shraman Culture and New Constitution – Shri Prithviraj Jain
  4. Payan Ki Vela (Prose Poem) – Ravindra
  5. South Hindustan and Jainism – Prof. Dalsukh Malvania
  6. On the altar – Shri Gyanchandra Bharil
  7. Sneh Bandhan (Story)- Mohan Lal Mehta
  8. Our Today’s Life – Shri Ratan Sagar Jain
  9. Master the Shadow – Aesopbodh
  10. Literary Award (Criticism) – Prof. Dalsukh Malvaniya, Mohanlal Mehta
  11. First Mahavir Jayanti of Indian Democracy – Indra M. A.
  12. A New Plan – Indra Chandra Shastri
  13. Bharat Jain Mahamandal – Madras Conference Proposals